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सहकारी समितियां

अब सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को मिलेगा सरकार की योजनाओं का लाभ

अब सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को मिलेगा सरकार की योजनाओं का लाभ

मथुरा में 18 सहकारी समितियां हुईं ऑनलाइन

मथुरा। शासन ने किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ देने की तैयारी शुरू कर दी है। शासन का निर्देश दिया है कि भविष्य में जो सहकारी समितियां ऑनलाइन नहीं होंगी, उनके उपभोक्ताओं
सहकारिता विभाग के माध्यम से दी जाने वाली केन्द्र व राज्य सरकारों की योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा। शासन के इस निर्देश के बाद सहकारिता विभाग सहकारी समितियों को ऑनलाइन कराने में जुट गया है। बता दें कि जनपद मथुरा में 79 सहकारी समितियां संचालित हैं। जिनके माध्यम से किसान अपने कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए खाद व बीज खरीदते हैं। अब समितियों से सभी प्रकार के लेन-देन किसानों को ऑनलाइन माध्यम से ही करने होंगे। जनपद में अब तक 18 समितियों को ऑनलाइन किया जा चुका है।

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केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सरकारी समितियों का स्तर सुधारने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ताकि सीधे शासन की योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचे। कोई बिचौलिया इसका फायदा न उठाए। शासन के निर्देशों का पालन कराने के लिए सहायक निबंधक सहकारिता सभी समितियों के सचिवों के माध्यम से समितियों को ऑनलाइन करने के लिए जुट गए हैं। सहायक निबंधक सहकारिता रविन्द्र कुमार ने बताया कि समस्त समितियों को अतिशीघ्र ऑनलाइन करा दिया जाएगा। किसानों की सुविधा के लिए शासन को कई प्रस्ताव तैयार कराकर भेजे जाएंगे। ताकि किसानों को सरकार की सभी महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ मिल सके।

राष्ट्रीय सहकारिता दिवस से पहले सहकारी समितियों को ऑनलाइन करने के निर्देश

- आगामी 3 जुलाई को केन्द्रीय सहकारिता दिवस मनाया जाएगा। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारिता दिवस से पहले सभी सहकारी समितियों को ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं।

◆ सहकारी समितियों के लाभ

- यह उत्पाद सस्ता बेचती है क्योंकि इसमें विज्ञापन आदि पर कोई खर्चा नहीं करना पडता। - लेखा इत्यादि रखने तथा प्रबन्ध के कार्यों का खर्चा न्यूनतम होता है क्योंकि सदस्य अवैतनिक रूप से स्वयं ही काम करते है। - यह अपने कर्मचारियों को अच्छा वेतन व स्थिति प्रदान करते है। - यह एक सामुदायिक सेवा है, इसलिए इसमें अधिक लाभ, काला बाजारी तथा जमाखोरी जैसी बुराइयां नहीं होती। - इसमें खरीद सीधे उत्पादकों से होती है, अतः बिचौलियों का लाभ कम हो जाता है। - यह भारतीय कृषकों की समस्याओं में सुधार हेतु उचित है ताकि उन्हें भण्डारण ऋण आदि की सुविधाएं प्राप्त हो सकें। - इसमें लाभ का हिस्सा समान रूप से निश्चित दर से वितरित किया जाता है तथा शेष सामाजिक विकास कार्यों में लगा दिया जाता है। - सामान्य जनता को लाभ पहुंचाती है। - इसमें सरकार से ऋण के रूप में अधिक राशि लेना संभव है। - सदस्यों में सहकारिता एवं सहयोग की भावना उत्पन्न करती है। ------- लोकेन्द्र नरवार
ढाई हजार करोड़ रुपए से यूपी की 63 हजार सहकारी समितियां होंगी कंप्यूटरीकृत

ढाई हजार करोड़ रुपए से यूपी की 63 हजार सहकारी समितियां होंगी कंप्यूटरीकृत

उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट का फैसला : ढाई हजार करोड़ रुपए से उत्तर प्रदेश की 63 हजार सहकारी समितियां होंगी कंप्यूटरीकृत

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने सूबे की 63 हजार प्राथमिक सहकारी समितियों को कंप्यूटरीकृत करने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार ने ढाई हजार करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इस धनराशि से यूपी की 63 हजार सहकारी समितियों को डिजिटल बनाया जाएगा। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में
सहकारिता मंत्रालय के इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई। केन्द्रीय ग्रह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस अहम फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार प्रकट किया है।

योजना से 13 करोड़ किसानों को मिलेगा फायदा

- यूपी केबिनेट के फैसले के बाद सहकारी समितियों के कंप्यूटरीकृत होने से सहकारी समितियां आत्मनिर्भर बनेंगी। इस योजना से प्रदेश के 13 करोड़ किसानों को फायदा मिलेगा। यह सहकारिता क्षेत्र में बड़ा सुधार है।

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केन्द्र सरकार से मिलेगा सहयोग

- सहकारिता क्षेत्र की कार्यप्रणाली को पारदर्शी व पूर्ण डिजिटलीकरण करने के लिए सरकार विशेष रूप से काम कर रही है। अगले वर्ष 2616 करोड़ की लागत से पांच सालों में देश की 63 हजार प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों को कंप्यूटरीकृत करने की योजना बनाई गई है।

केन्द्र और राज्य स्तर पर होगा परियोजना प्रबंधन

- इस परियोजना में साइबर सुरक्षा एवं आंकड़ों के संग्रहण के साथ-साथ क्लाउड आधारित साझा सॉफ्टवेयर का विकास, पैक्स को हार्डवेयर संबंधी सहायता प्रदान करना, रख-रखाव संबंधी सहायता एवं प्रशिक्षण सहित मौजूदा रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण शामिल है। यह सॉफ्टवेयर स्थानीय भाषा में होगा जिसमें राज्यों की जरूरतों के अनुसार अनुकूलित करने संबंधी लचीलापन होगा। केन्द्र और राज्य स्तर पर परियोजना प्रबंधन इकाइयां (पीएमयू) स्थापित की जायेंगी। लगभग 200 पैक्स के समूह में जिला स्तरीय सहायता भी प्रदान की जाएगी। ----- लोकेन्द्र नरवार
पैक्स और डेयरी से जुड़े सरकार के इस फैसले से सीधे तौर पर बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी

पैक्स और डेयरी से जुड़े सरकार के इस फैसले से सीधे तौर पर बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी

हाल ही में केंद्रीय मंत्री द्वारा दिए गए बयान से यह बात सामने आई है कि भारत में सरकार सहकारिता आंदोलन को और अधिक मजबूती देने के लिए कार्य कर रही है. सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर इसे मजबूत बनाने के लिए कई तरह की सहकारी समितियों का निर्माण किया जाएगा. खबरों की मानें तो देश में एक बार फिर से सहकारिता आंदोलन जोर पकड़ने वाला है. केंद्र सरकार भी इसे लेकर बड़े लेवल पर काम कर रही है. इसके तहत अगले 5 साल में 2 लाख प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स; PACS), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा गठित की जाएगी. इस सभी कार्य को लेकर केंद्र सरकार ने प्रस्ताव को पूरी तरह से मंजूरी दे दी है. हाल ही में हमारे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक मंत्रिमंडलीय बैठक में इस फैसले की जानकारी जनता को दी है.  अभी भी पूरे देश में लगभग  63,000 पैक्स समितियां कार्य कर रही है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा दी गई जानकारी से पता चला है कि देश में सहकारिता आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए आने वाले समय में कई तरह की समितियों का गठन किया जाएगा.

जलाशय पंचायत में बनाई जाएंगी मत्स्य पालन समिति

इस योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में पैक्स समिति  तो बनाई ही जाएगी इसके अलावा सभी पंचायत जहां जलाशय है वहां पर मत्स्य पालन समिति बनाने की योजना भी बनाई जा रही है. अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक में यह जानकारी दी है कि इस योजना के प्रस्ताव को हाल ही में चल रही बाकी सभी सरकारी योजनाओं के साथ मेल मिलाप करते हुए लागू किया जाएगा. यह  सहकारी समितियां योजना को एक जरूरी और आधारभूत ढांचा बनाने में मदद करेगी और आगे चलकर यह इस योजना को एक सशक्त रूप देने में भी काफी सहायक साबित होगी. ये भी पढ़े: जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ

कंप्यूटरीकरण के लिए रखा गया है बजट

इस योजना के तहत जो भी किसान सहकारी समिति के सदस्य बनते हैं उन्हें खरीद और विपणन जैसी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जाएंगी जो उनकी आमदनी बढ़ाने में सीधे तौर पर मदद करेगी.इन सभी योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे जो वहां के लोगों के लिए काफी लाभकारी साबित होने वाले हैं.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी आर्थिक मामलों से जुड़ी हुई समिति के साथ मिलकर इन सभी पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण करने की बात भी कही है. अगर यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो जाती है तो ना सिर्फ कामकाज में पारदर्शिता आएगी बल्कि सभी जुड़े हुए व्यक्ति सही तौर पर जवाबदेह होकर अपना काम कर सकते हैं.हाल ही में देश भर में एक्टिव करीब 63,000 पैक्स समितियों के कंप्यूटरीकरण के लिए 2,516 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है और इसमें से केंद्र की हिस्सेदारी लगभग 1,528 करोड़ रुपये की  मानी जा रही है..